सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम बापू को दी अंतरिम जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित धर्मगुरु आसाराम बापू को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत प्रदान की है। यह जमानत 31 मार्च 2025 तक वैध रहेगी। आसाराम बापू को यह राहत उनकी खराब स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए दी गई है। हालांकि, कोर्ट ने उनके ऊपर सख्त शर्तें भी लगाई हैं।
जमानत क्यों दी गई?
आसाराम बापू के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि उनकी तबीयत बेहद नाजुक है और उन्हें तत्काल मेडिकल सहायता की आवश्यकता है। कोर्ट ने उनकी स्वास्थ्य रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यह जमानत मंजूर की। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत केवल चिकित्सा उद्देश्यों के लिए दी गई है और किसी भी अन्य गतिविधि की अनुमति नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट की शर्तें क्या हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए आसाराम बापू के लिए कई शर्तें तय की हैं ताकि किसी भी प्रकार की दुरुपयोग की संभावना न हो:
- अनुयायियों से कोई संपर्क नहीं: आसाराम बापू को अपने अनुयायियों से किसी भी तरह की बातचीत या मुलाकात की इजाजत नहीं होगी।
- सिर्फ मेडिकल इलाज के लिए बाहर जाना: उन्हें केवल अपने स्वास्थ्य उपचार के लिए अस्पताल जाने की अनुमति दी गई है।
- जमानत का दुरुपयोग न हो: कोर्ट ने साफ किया है कि यह राहत केवल चिकित्सा आधार पर दी गई है, और इस दौरान वह किसी प्रकार की कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकते।
इस मामले का अब तक का सफर
आसाराम बापू को 2013 में यौन शोषण के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद, 2018 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने कई बार जमानत के लिए याचिकाएं दायर कीं, लेकिन सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं। यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील पर चिकित्सा आधार पर राहत दी है।
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर जनता की तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
- कुछ लोग इसे कोर्ट की संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण का हिस्सा मान रहे हैं।
- वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि ऐसे गंभीर मामलों में जमानत देना न्याय प्रक्रिया की कमजोरी को दर्शाता है।
अब आगे क्या होगा?
आसाराम बापू को यह जमानत 31 मार्च 2025 तक दी गई है। इस दौरान उनकी चिकित्सा स्थिति की निगरानी की जाएगी। जमानत की अवधि खत्म होने के बाद कोर्ट पुनः उनकी स्वास्थ्य स्थिति की समीक्षा करेगा और आगे का निर्णय लिया जाएगा।
जमानत का बड़ा मतलब
यह अंतरिम जमानत आसाराम बापू के लिए बड़ी राहत है, लेकिन उनकी कानूनी लड़ाई अभी भी जारी है। यह मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि कोर्ट संवेदनशील मामलों में भी मानवीय आधार पर निर्णय ले सकता है।